Friday 31 July 2015

भाभी भी चुदने को बेताब

हैलो दोस्तो, मैं परवेज फरीदाबाद से हूँ. मैं पहली बार अपनी कहानी लिख रहा हूँ. जब मैं 18 साल का था, यह तब की बात है.
मेरे बड़े पापा (ताऊ) के दूसरे बेटे ने भाग कर शादी की, इसलिए उनके वापिस आने पर एक पार्टी दी गई, उसमें हमारे परिवार के सभी सदस्य शामिल थे, पार्टी रायपुर में दी गई थी. पार्टी ख़त्म होने के दो दिन बाद हमारे घर के अधिकतर लोग वापस चले गए पर मैं घूमने के लिए कुछ दिन वहाँ रुक गया. मेरी बड़ी भाभी मुझे बहुत पसंद करती थीं, उन्होंने मुझे वहीं रोक लिया था.

देखते-देखते दो दिन बीत गए, मैं शाम को घूम कर आने के बाद ऊपर की मंजिल पर चला गया. वहाँ सिर्फ़ भाभी थीं, वो रोटी बना रही थीं. उनको अधिक गरमी लगने के वजह से अपनी साड़ी का आँचल ब्लाउज से हटा दिया था, जिसके कारण उनकी उभरी हुई चूचियां दिख रही थीं. उनके मम्मे देखते ही मेरा लंड तन गया.

मैं अपने आपको शान्त करने के लिए रसोई के बाहर जाकर अपने मोबाइल पर ब्लू-फिल्म देखने लगा. फिल्म को देखते-देखते मैं अपनी पैन्ट की चैन खोल कर 6.5 इंच के लंड को हाथ में लेकर मूठ मारने लगा. मैं मूठ मारने में इतना मस्त हो गया कि यह भी ख्याल नहीं रहा कि रसोई में भाभी रोटी बना रही हैं. बस अपनी धुन में मूठ मारता चला गया.

अचानक भाभी आकर मुझे डांटने लगीं. मैं चौंक कर सीधा खड़ा हो गया. वो मेरे खड़े लंड को देखने लगीं. मैंने जल्दी से अपना तना लंड पैन्ट के अन्दर डाल लिया.

तभी भाभी मुझे बोलीं- यह सब ग़लत काम है.

मैं कहा- आपके मम्मे देख कर मैं रह नहीं पाया.

तभी वो मुझसे पूछने लगीं- क्या तुम्हारी कोई गर्ल-फ्रेंड है?

मैंने कहा- नहीं है.

तब वो बोलीं- तुम्हें ये फिल्में देख कर और मूठ मार कर शान्ति मिल जाती है क्या?

मैंने कहा- नहीं मिलती, पर क्या करूँ मजबूरी है.

तब वो मुझसे सेक्सी बातें करने लगीं और कुछ देर बाद पूछने लगीं- ज़रा वो फिल्म दिखाना, जो तुम देख रहे थे.

मैंने देर ना करते हुए एक जबरदस्त चुदाई वाली फिल्म चालू कर दी. उसमें एक लड़की एक लड़के का लंड चूस रही थी.

उन्होंने फिल्म देखते-देखत अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया.

मैं बोला- यह क्या कर रही हो भाभी?

वो बोलीं- मुझे भी कुछ-कुछ हो रहा है.

मैं बोला- भैया को बुला दूँ क्या?

वो बोलीं- तेरे भैया तो हमेशा काम में लगे रहते हैं.

मैं बोला- तो मैं क्या कर सकता हूँ आपके लिए?

वो बोलीं- तू कुछ मत कर, बस तू थोड़ी देर पहले जो तू हाथ से कर रहा था, वो फिर से कर अबकी बार मैं तेरी मदद करूँगी.

मैं अपने पैन्ट से लंड निकाल कर मूठ मारने लगा, तभी वो मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर मूठ मारने लगीं और थोड़ी देर बाद चूसने लगीं. करीब दस मिनट बाद मैंने उनके मुँह में ही वीर्य छोड़ दिया, वो बिना कुछ बोले सारा माल पी गईं.

अब उनकी बारी थी, वो मुझसे बोली- क्या तुम ‘वो’ करोगे.

मैंने पूछा- क्या?

उन्होंने कहा- वही.. जो सेक्सी फ़िल्मों में करते हैं.

मैंने कहा- हाँ..

वो नीचे लेट गईं और अपनी साड़ी ऊपर उठा ली.

उनकी गोरी-गोरी जाँघें देख कर मेरा लंड फिर से तन गया.

मैंने उनकी चड्डी उतारी और उनकी चूत चूसने लगा. कुछ देर बाद मैं उनकी चूत पर अपना लंड रख कर घुसाने लगा. एक-दो बार की कोशिशों में ही मेरा पूरा लंड उनकी चूत में था, मुझे तो जन्नत नज़र आ रही थी. फिर मैंने धकापेल चालू कर दी.

कुछ ही देर बाद मैंने उन्हें अपने ऊपर आने को कहा. वो मेरे ऊपर आकर चुदवाने लगीं.

तभी नीचे से बड़े पापा की आवाज़ आई- बहू खाना तैयार है क्या?

हम दोनों डर गए.

भाभी बोलीं- हाँ जी… तैयार हो गया बाबूजी.. अभी लाती हूँ.

हमने फटाफट अपने कपड़े ठीक किए और भाभी मुझसे बोलीं- आज रात छत पर ही सोना.

मैंने कहा- ठीक है.

भाभी खाना लेकर नीचे चली गईं. मुझे बड़े पापा पर बहुत गुस्सा आया, लेकिन क्या करता. अब मैं भी खाना खाकर ऊपर सोने आ गया. मैं भाभी का इंतजार करते-करते सो गया.

करीब 11.30 बजे भाभी मेरे पास आईं और मुझे उठाने लगीं. जब मैंने अपनी आँखें खोलीं, तब मैं भाभी को देखता ही रह गया. वो नाइट-ड्रेस पहन कर मेरे पास खड़ी थीं, वो ब्रा-पैन्टी कुछ नहीं पहने थीं, उनके मम्मों के निप्पल मुझे बिल्कुल साफ़ दिख रहे थे.

यह सब देख कर मेरा लंड तन गया, मैंने भाभी को नीचे लिटाया और उनके कपड़े ऊपर करके उनके मम्मे चूसने लगा. वो मेरे सर को पकड़ कर अपने मम्मों पर रग़ड़ने लगीं. थोड़ी देर मम्मे पी लेने के बाद हम 69 की अवस्था में आ गए. वो मेरा लंड चूस रही थीं, मैं उनकी चूत चूस रहा था.

तभी मैंने एक उंगली उनकी गाण्ड के छेद में डाल दी, वो और अधिक उत्तेजित हो गईं. वो ज़ोर-ज़ोर से मेरा लंड चूस रही थीं. तभी एकाएक उन्होंने मेरे लंड को ज़ोर से दबा कर पकड़ लिया, कुछ देर बाद उनकी चूत से पानी निकलने लगा.

मैंने कुछ देर उनकी गाण्ड के छेद को चूसा और एक उंगली उनकी चूत में घुसा दी. वो गरम होने लगीं, कुछ देर बाद वो पूरा गरम हो गईं, मैंने बिना देर किए उनके ऊपर चढ़ कर अपना लंड उनकी चूत में घुसा दिया और उनको चोदने लगा.

थोड़ी देर बाद उनके दोनों पैर अपने कंधे पर रख कर उनको धकाधक चोदने लगा. अब वो हल्के-हल्के आवाज़ में चिल्लाने लगी थीं, कभी ‘आहह’ कभी ‘उहह’.. मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए ताकि कोई उनकी आवाज़ सुन ना ले. करीब 20 मिनट तक चोदने के बाद मैं झड़ने वाला था.

मैंने भाभी से पूछा- कहाँ छोड़ूं?

उन्होंने कहा- मम्मों पर छोड़ दो.

मैंने दो-तीन और झटके लगाए और उनके मम्मों पर अपना सारा वीर्य छोड़ दिया.

फिर भाभी ने रात को एक और बार मेरे साथ चुदाई की. मैं उनकी चूत के चक्कर में अगले दो हफ्ते तक वहाँ रुका रहा. अपनी बड़ी भाभी की बहुत चुदाई की.

No comments:

Post a Comment