Friday 31 July 2015

शादीसुदा दोस्त की चुदाई

हेल्लो दोस्तों ये कहानी मेरी गर्लफ्रेंड दीप की हैं. वो मेरे साथ ऑफिस में हैं. ये बात २००७ की हैं, जब हमने एकसाथ ऑफिस ज्वाइन किया था. उसकी डेस्क मेरे बगल में ही थी. हम काम करते करते बातें करते रहते थे. कुछ ही दिनों में हम दोनों अच्छे दोस्त बन गए.
लेकिन २००८ में उसकी शादी हो गई. उसने मुझे बताया की उसकी शादी लव मेरेज हैं; उस लड़के से वो पिछले आठ साल से प्यार करती थी. उसके घरवालों की मर्जी के खिलाफ जा के उसने यह शादी की थी.

दिन बीतते गए और हमारी दोस्ती और भी गहरी होती गई. वो तो मुझे यहाँ तक कहती थी की अगर तुम मुझे कुछ अरसे पहले मिलते तो मैं तुम से शादी कर लेती. मैं उसकी बात को हंस के उड़ा देता था. उसका हसबंड रोज शाम को ऑफिस से लेने के लिए आता था.

एक दिन उसका पति कुछ काम होने की वजह से दीप को लेने नहीं आ पाया. उसने मुझ से पूछा की क्या तुम मुझे घर छोड़ दोंगे? मैंने कहा ठीक हैं व्हाई नोट. हम दोनों ऑफिस से निकले और एक रिक्शा किया. थोडा सा अँधेरा हो गया था. मैं पहली बार उसके उतने करीब बैठा था उसके बदन से मस्त खुसबू आ रही थी. मैंने अपना हाथ पीछे किया और सिट पर लम्बा किया. फिर हाथ को धीरे से गिरा के मैंने उसकी पीठ पर रखा. उसने कुछ नहीं कहा, उसकी ब्रा की पट्टी मेरे हाथ को छू रही थी. मैंने उसके कान में पूछा, दीप यह क्या है?

उसने घूर के मेरी और देखा लेकिन हाथ हटाने के लिए जरा भी नहीं कहा. मैं धीरे से उसकी पीठ को रब करने लगा, उसे भी यह सब अच्छा लग रहा था.

अँधेरा और भी बढ़ चूका था और मेरी हिम्मत भी. मुझे मस्ती चढ़ी और मैंने धीरे से अपना हाथ उसके बूब्स को छुआ दिया. वो कुछ नहीं बोली और मैं फिर से उसके बूब्स को सहला दिया. उसने अपने दुपट्टे से मेरे हाथ को ढांक दिया ताकि रिक्शेवाला देख ना लें. मैं अब उसके बूब्स को जोर से दबाने लगा था. उसकी और मेरी दोनों की साँसे तेज होने लगी थी.

उसने मेरी और देखा और हंस दिया. मैंने उसके बूब्स को जोर से दबाया और उसके मुहं पर हलके से दर्द के भाव आ गए.

उतने में उसका घर आ गया. हम लोग रिक्शे से उतरे. मैंने कहा दीप मैं अंदर आ जाऊं. उसने कहा नहीं कभी भी मेरे हसबंड आ सकते हैं. फिर उसने कहा, हम कल मिलते हैं!

दुसरे दिन वो ऑफिस में मस्त सेक्सी ड्रेस पहन के आई थी. लंच में उसने मुझे कहा, मुझे शोपिंग करनी हैं मेरे साथ चलोंगे.

शाम को ऑफिस से हमलोग सीधे मार्केट गए. उसने लेडीज़ मार्केट से अपने लिए कोस्मेटिक ख़रीदे. फिर हम खाने के लिए एक रेस्टोरेंट में गए. वो रेस्टोरेंट सिर्फ कपल के लिए था. हम लोग भी एक केबिन में जाके बैठ गए और चाइनीज खाना ऑर्डर किया. मैंने हिम्मत कर के अपना हाथ उसकी जांघ पर रख दिया.

उसने मेरी और देखा और बोली, अरे मैं शादीसुदा हूँ यार.

मैंने उसकी एक नहीं सुनी और उसके बूब्स दबाने लगा.

उसने थोड़ी देर और विरोध किया और फिर वो भी मेरे साथ देने लगी. उसका हाथ मेरे लंड पर आ गया और वो उसे दबाने लगी.

मैंने कहा, दीप अब मुझ से बर्दास्त नहीं हो रहा हैं.

वो बोली, चलो कोई अच्छी जगह चलते हैं.

मेरे ध्यान में एक लोज था जो वही नजदीक था. मैं इस चांस को गवाना नहीं चाहता था. खाना छोड़ के हमलोग निकल पड़े. लोज में एक कमरा लेके हम लोगोने पहले बाथरूम में मुहं हाथ धोया. मैंने बाथरूम में ही उसे पीछे से पकड लिया. मेरा लंड उसकी गांड पर टच हो रहा था. मेरा लौड़ा बड़ा टाईट था और उसकी गांड में चूभ रहा था. दीप ने पीछे हाथ कर के मेरे छोटे जादूगर को अपने हाथ से सहलाया. मैं बेताब हो चूका था और उसकी चूत लेने को एकदम बहावला.

दीप मेरी और मुड़ी और मैंने उसे अपनी करीब खिंच के जोर से किस कर लिया. मैंने अपने हाथ उसकी छाती पर रख दिए और उसकी चुंचियां मसलने लगा. उसकी सिसकियाँ निकल रही थी और वो मुझे और भी जोर से किस कर रही थी.

उसने किस तोड़ के कहा, जल्दी करना होंगा क्यूंकि मैंने हसबंड से कहा हैं की दो घंटा लेट आउंगी. और डेढ़ घंटे जितना समय तो हो गया हैं.

मेरे पास आधा घंटा था जिसमे मुझे उसे चोदना था और घर पहुँचाना था.

मैंने उसके कपडे खोले, वाऊ क्या माल लग रही थी दीप उस वक्त. बिना बाल की चूत और हॉट चुंचियां. वो पलंग के ऊपर उलटी हो गई डौगी स्टाइल की तरह ही.

मैं उसके पीछे आ गया और अपना लंड उसकी चूत पर रखा. दीप ने हाथ से लंड को पकड के अपनी चूत के छेद पर सेट किया. उसकी चूत बहुत गीली हो चुकी थी. एक झटके में मैंने लंड अंदर कर दिया. उसके मुहं से आह निकल गई. उसके हाथ मेरी गांड पर थे और वो मुझे अपनी और खींचने लगी थी. मेरा लंड आधे से ज्यादा उसकी चूत में था. अब मैं अपने लौड़े के झटके देने लगा. आह आह करते हुए वो अपनी गांड को हिला रही थी. मैं भी संयम से उसकी चूत को ठोके जा रहा था.

अब मेरे दोनों हाथ उसकी गांड पर थे और मैं उसे आगे पीछे कर के लंड को चूत में ठोकने लगा था.

आह आह आह की आवाज हम दोनों के मुहं से निकल रही थी. दीप अपनी गांड को जोर जोर से उठा के मुझे सुख दे रही थी.

दो मिनिट और चोदा था की मेरे लौड़े ने पानी छोड़ दिया. दीप ने चूत को लंड पर दबा के सारा पानी अंडर समेट लिया. हमने कपडे पहने और लोज से निकल पड़े.

मैंने उसे घर से कुछ दूर छोड़ा. वो जब जा रही थी तब मैं उसकी मटकती हुई गांड को देख रहा था. तब मैंने सोचा की अगली बार दीप की गांड में भी लंड दाल दूंगा…!

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