Sunday 19 July 2015

सेक्सी स्तन वाली नीलिमा भाभी को चोदा

नीलिमा भाभी हमारे महोल्ले की जान थी और उसके सेक्सी फिगर को देखने के लिए हम अक्सर घंटो तक बैठे रहते थे. वह सोसायटी के पास वाले स्कुल में इंग्लिश की टीचर थी और उसकी मटकती गांड के बड़े दीवाने थे. उसके स्तन भी काफी बड़े थे और अक्सर उसकी साडी के ब्लाउज से दिख जाते स्तन मेरा लंड खड़ा कर देते थे. उसकी याद में मैंने कितनी बार मुठ मारी थी मुझे भी याद नहीं हैं, मैं उसको आँखे बंध कर के अलग अलग पोजीशन में चुदाई के विचार में खो के अपना लौड़ा हिला लेता था. इस रात लेकिन कुछ अलग हुआ, मुझे आज नीलिमा भाभी सपने में आई और मेरा लंड चूस गई. मैंने 10 मिनिट चले इस सपने में नीलिमा भाभी की चुदाई भी की थी.

नीलिमा भाभी स्तन उछाल के मेरी तरफ आई

उस दिन नीलिमा भाभी को मैंने दिन में मस्त गुलाबी साडी में देखा और दिन में दो बार यह सेक्सी भाभी को याद करते हुए मुठ मारी थी. उस दिन मैं शाम को क्रिकेट खेलने भी गया था इसलिए मुझे थकान भी काफी लगी थी. रात को 11 बजे मैंने हिंदी सेक्स स्टोरियाँ पढ़ी और पढ़ते पढ़ते ही मैं सो गया. मुझे यह भी ख्याल नहीं रहा की कब मेरे हाथ में मोबाइल था और मुझे नींद आ गई. वैसे मुझे सपने कम ही आते हैं लेकिन यह सपना इतना हसीं था की मैं उसे भुलाना नहीं चाहता. मेरी गहरी नींद पड़ी और मैंने देखा की मैं अपने घर की गेलरी में बैठा हूँ. सामने सेक्सी स्तन वाली नीलिमा भाभी बाल सुका रही थी और हम दोनों की नजरें मिली. मैंने स्माइल दी और उसने एक अच्छी स्माइल से जवाब दिया. वो बाल सुकाते सुकाते मुझे ताक रही थी, मेरा लंड खड़ा हो गया.

नीलिमा भाभी ने टॉवल बालो में बाँधा और उसने मुझे इशारा किया घर आने को. मैं दौड़ के उसके घर पहुंचा, दरवाजा खुला था और उसका बूढा खूसट ससुर दीनदयाल भी रोज की तरह आज बहार अखबार ले के नहीं बैठा था. मैं सीढ़िया चढ़ता हुआ सीधे नीलिमा भाभी कके रूम में जा पहुंचा. भाभी कुर्सी पर बैठी थी और उसके भीने भीने कुछ बाल उसके कंधे पर थे, बाकी के बाल वही नील टॉवल में लिपटे थे. बालो का कुछ पानी उसके स्तन पर टपका हुआ था और इसलिए उसकी सफ़ेद कमीज़ के अंदर की काली ब्रा साफ़ नजर आ रही थी. मैंने कहाँ, “भाभी कुछ काम था….?”

नीलिमा भाभी बोली, “क्यों रे छोरे तुम लोग रोज चौराहे पे बैठ के क्या देखते हों जब में स्कुल जाती हूँ?”

मैं घबरा गया, “कुछ नहीं भाभी वो तो हम दोस्त लोग ऐसे ही बैठते हैं…!”

भाभी, “तुम से ज्यादा दिवाली मनाई है बेटे, गांड देखते हो और कमेन्ट देते हों….”

मेरा पसीना निकलने वाला था तभी भाभी बोली, “साले पहले बता दो हम थोड़ी चुदाई से डरने वाली चीज हैं.”

भाभी के मुहं से यह सुन के मैं तो सन्न रह गया, उसने मुझे अपनी तरफ आने को इशारा किया. उसने टॉवल हटाया और अपने बाल हटा के स्तन को मुझे दिखाने के लिए अपनी कमीज़ उठाई. इस 36 की छाती को देख मेरा लंड सुन्न हो गया और मैंने दौड़ के नीलिमा भाभी के स्तन को ब्रा के अंदर ही दबाने और चूसने लगा. नीलिमा भाभीने मेरे गले में अपने हाथ डाले और बोली, “आज मौका देती हु चुदाई का, ध्यान से करना वरना दूसरा लड़का ढूढ़ लुंगी.”

नीलिमा भाभी के स्तन खुशबूदार थे

मैंने भाभी के चुंचो को दबा के उन्हें हिलाना चालू किया, भाभी के चुंचे मांसल और भारी थे. वह मेरी तरफ प्यार से देख रही थी और उसने मेरा मुहं पकड़ के अपने चुंचो पर लगा दिया. भाभी के स्तन से मस्त साबुन की खुश्बू आ रही थी. मैंने धीरे से हाथ पीछे कर के उनके ब्रा के हुक खोल दिएँ. भाभी के चुंचे झूल गए और मुझे अपने दोस्तों की भेजी हुई एक एसएम्एस शायरी याद आ गई.

जब तेर चीकू थे सब तेरे पीछू थे.

जब तेरे आम हुए जाने कितने बदनाम हुए.

जब तेरे खरबूजे हुए, बड़े बड़े अजूबे हुए,

जब तेरे झूल गए, सब तुझे भूल गएँ.

वैसे यह शायरी नीलिमा भाभी के मामले में गलत लगती थी क्यूंकि भले उसके स्तन झूल गए थे लेकिन उनमे अभी भी वही मस्ती भरी हुई थी, मैंने अपने दोनों हाथ उसके स्तन पर रखे और एकदम कस के दबाने लगा. नीलिमा भाभी सिसकियाँ ले रही थी और मैं उसे होंठो पर किस करने लगा. भाभी मेरे गले में हाथ डाल के मुझे कस के बाहों में भरने लगी. मेरा लैंड उत्तेजना के चरम शिखर पर था.

चल चूस ले मेरी चूत

भाभी ने मेरी शर्ट पेंट और लंगोट उतारी और खुद भी नंगी हो के कुर्सी पर बैठ गई. उसकी चूत बिलकुल साफ़ थी, और उसके ऊपर एक भी बाल नहीं था. उसने वही अपनी टाँगे खोली और मैं इस सेक्सी चूत को चूसने के लिए मानसिक रूप से तैयार था. मैं भाभी की टांगो के बिच बैठ गया और उसके पालतू कुत्ते की तरह चूत पे जीभ फेरनें लगा. भाभी की चूत एक दम गर्म थी और चूत से भी वहीँ साबुन की खुश्बू आ रही थी जो स्तन से आ रही थी. मैं अपनी पूरी जबान भाभी की जीभ में देकर उसकी चूत को टटोल रहा था. अजब का नमकीन स्वाद था…..!!!

भाभी ने चूत में लंड लिया

भाभी की चूत 2 मिनिट तक कसके चूसने के बाद उसने मुझे माथा पकड़ के खडा किया और खुद पलंग में लेट गई. उसने अपनी टाँगे खोल दी और मैंने अपना लंड उसके चूत के उपर रख के एक झटका दे दिया. लंड चूत के अंदर घुस गया और मैं भाभी के स्तन पकड़ के उसके उपर हिलने लगा. भाभी आह आह ओह ओह कर रही थी लेकिन मेरे लंड को चूत में जरा भी घर्षण नहीं लग रहा था. नीलिमा भाभी शायद चुदवा चुदवाके चूत का भोसड़ा बना चुकी थी. मैं उसे जोर जोर से चोद रहा था और साथ साथ उसके स्तन मसल रहा था…!!!

अबे चूतिये उठना कोलेज नहीं आना…..!

तभी मेरे गाल पर जैसे किसी ने थप्पड़ मारी, अरे साली याह तो थप्पड़ ही थी, तभी आवाज आई….”साले उठना, कोलेज नहीं आना…तेरा बाप मिश्रा प्रोफेसर आके मार लेगा नहीं तो.” मैं झबक के उठा….साले अंकित और दीपक ने मस्त सपने की माँ बहन एक कर दी…थोड़ी देर बाद आते तो भाभी की चूत में वीर्य भी दे देता…..!!!

इस दिन के बाद मुझे नीलिमा भाभी को देखने पर अलग फिलिंग होने लगी थी, मुझे सपना याद आ जाता था और उसके स्तन को देख के लगता था की सपने की 75% बातें सच है. केवल एक बात गलत हैं की उसने मुझे चोदने दिया. मेरा लंड आज भी इसकी चूत को मसलने को बेताब हैं. काश वो खिड़की से मुझे सच में बुला के अपने स्तन पिलाएं और चूत चटवायें……..!!!

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